• 19/01/2024

बड़ी खबर: बाबरी मस्जिद विवाद का फैसला सुप्रीम कोर्ट के बाहर हुआ था, सुन्नी वक्फ बोर्ड ने दावा छोड़ समझौते पर किया था हस्ताक्षर- शंकराचार्य

बड़ी खबर: बाबरी मस्जिद विवाद का फैसला सुप्रीम कोर्ट के बाहर हुआ था, सुन्नी वक्फ बोर्ड ने दावा छोड़ समझौते पर किया था हस्ताक्षर- शंकराचार्य

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अयोध्या में 22 जनवरी को रामलला की प्राण प्रतिष्ठा को लेकर चल रही तैयारियों के बीच शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद सरस्वती ने बड़ा दावा किया है। शंकराचार्य के दावे के मुताबिक राम मंदिर- बाबरी मस्जिद विवाद का समाधान सुप्रीम कोर्ट के फैसले के पहले ही अदालत के बाहर हो गया था। द वायर के लिए वरिष्ठ पत्रकार करण थापर को दिए गए इंटरव्यू में शंकराचार्य अविमुक्तेश्वरानंद ने इसका खुलासा किया है।

शंकराचार्य अविमुक्तेश्वारानंद के मुताबिक यूपी सुन्नी वक्फ बोर्ड ने बाबरी मस्जिद पर अपना दावा छोड़ने का हलफनामा अदालत में दिया था। जिसके बाद सर्वोच्च अदालत ने 5-0 से राम मंदिर के पक्ष में फैसला सुनाया।

मुस्लिम पक्ष ने समझौते पर हस्ताक्षर किए

शंकराचार्य ने कहा, “सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि हम फैसला दें इससे अच्छा आप लोग आपस में मिल बैठकर तय कर लें। सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर हिंदू पक्षकार, हम लोग पक्षकार थे इसलिए हम भी सम्मिलित थे हमारी समिति की ओर से और मुस्लिम पक्षकार जितने भी थे, वो और उनके अधिवक्तागण। कई बार हम लोग बैठे। सच बात यह है कि बैठने का फायदा हुआ।”

शंकराचार्य ने आगे कहा, “मुस्लिम पक्ष को ये बात समझ में आई कि लड़ने का कोई फायदा नहीं है। और इसलिए सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने से पहले हम लोगों ने एक समझौता किया सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड के साथ। सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड के उस समय के जो अध्यक्ष थे सीतापुर उत्तर प्रदेश के रहने वाले जफर फारुकी साहब ने उसमें हस्ताक्षर किए। उन्होंने उसमें कहा कि बाबरी मस्जिद नाम की जो वस्तु है उससे हम जो – जो भी दावा कर रहे थे उससे हम सारा दावा वापस लेते हैं। ये समझौता हम लोगों ने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल किया।”

शंकराचार्य ने आगे कहा, “इस समझौते के बाद 5-0 से फैसला आया। अगर ये समझौता नहीं हुआ होता तो 5-0 से ऐसा फैसला नहीं आया होता। चूंकि मुस्लिम पक्ष ने दावा ही छोड़ दिया था इसलिए फिर किसी को कुछ कहने का अधिकार ही नहीं रह गया था। इसलिए जजेस ने 5-0 से एक पक्ष में फैसला दिया था। ये सब बातचीत से हुआ था। बातचीत करने से सब समस्या का समाधान होता है।”

आपको बता दें अयोध्या में राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा से पहले शंकराचार्यों की नाराजगी का मामला लगातार सुर्खियों में बना हुआ है। चारों शंकराचार्यों ने राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा समारोह में न जाने का फैसला लिया है।

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