• 17/09/2023

168 चूहे पकड़ने रेलवे ने फूंक डाले 69 लाख रुपये? अब रेलवे ने कही ये बात

168 चूहे पकड़ने रेलवे ने फूंक डाले 69 लाख रुपये? अब रेलवे ने कही ये बात

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चूहों के उत्पात से उत्तर रेलवे इस कदर परेशान है कि उसने 168 चूहे पकड़ने के लिए 3 साल में 69 लाख रुपये फूंक दिए। बावजूद इसके चूहों के आतंक से उसे मुक्ति नहीं मिल पाई। रेलवे ने 1 चूहा पकड़ने के पीछे औसतन 41 हजार रुपये बहा दिए। ये चौंकाने वाला जानकारी उत्तर रेलवे ने चंद्रशेखर गौर नाम के एक शख्स को एक आरटीआई के जवाब में दी है। मीडिया में खबर आने के बाद हड़कंप मच गया है। अब रेलवे ने इस पर बयान जारी किया है।

रेलवे ने चूहा पकड़ने का ठेका सेंट्रल वेयर हाउसिंग कॉर्पोरेशन को दिया गया था। ठेका कंपी ने तीन साल तक चूहा पकड़ने का अभियान चलाया। इस दौरान उसने 168 चूहे पकड़े। आरटीआई के मुताबिक रेलवे ने चूहे पकड़ने में एक साल में 23,16,150.84 ( तेइस लाख 16 हजार 1 सौ 50 रुपये 84 पैसे) रुपये खर्च किए। यानी कि 3 साल में रेलवे ने 69,48,542.52 रुपये खर्च किए।

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चूहे पकड़ने का यह अभियान साल 2020 में शुरु हुआ। पहले साल में 83 चूहे पकड़े गए। उसके बाद के साल में इसकी दर आधी हो गई। दूसरे साल 2021 में 45 चूहे पकड़े गए। इसका औसतन खर्च प्रति चूहा 51 हजार रुपये आया। इसी तरह साल 2022 में 40 चूहे पकड़े गए। इस लिहाज से साल 2022 में एक चूहे को पकड़ने 57,900 रुपये फूंके गए।

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रेलवे ने किया खंडन

मीडिया में खबर आने के बाद रेलवे इसका खंडन किया है। उतर रेलवे के लखनऊ डिविजन की कमर्शियल मैनेजर रेखा शर्मा का कहना है कि जानकारी को गलत तरीके से पेश किया गया। उन्होंने इस मामले में सफाई देते हुए कहा कि लखनऊ डिविजन में लखनऊ मंडल में कीट और चूहों को कंट्रोल का करने का जिम्मा गोमतीनगर स्थित मेसर्स सेंट्रल वेयर हाउसिंग कॉर्पोरेशन के पास है। यह भारत सरकार का एक उपक्रम है।

रेलवे ने बताया, “इस तरह की गतिविधियों का उद्देश्य सिर्फ चूहों को पकड़ने तक सीमित नहीं, बल्कि इन्हें बढ़ने से रोकना भी है। लखनऊ मंडल में तैयार किए गए सभी कोच में कॉकरोच, चूहों, बिस्तर में पड़ने वाले कीड़े, मच्छरों को कंट्रोल करने जैसी गतिविधियां शामिल है। इसकी कीमत 23.3 लाख रुपए मीडिया रिपोर्ट्स में दर्शायी गई है। जबकि 25 हजार डिब्बों में चूहों को कंट्रोल करने में जो राशि खर्च होती है, उसकी लागत 94 रुपए प्रति कोच है। चूहों की वजह से कोच में होने वाले नुकसान को देखते हुए, यह लागत बहुत कम है।”

रेलवे की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाने की कोशिश

लखनऊ मंडल ने आपत्ति दर्ज कराते हुए कहा, “एक चूहे पर 41 हजार रुपए खर्च करने की बात गलत तरीके से दर्शायी गई है। साथ ही भारतीय रेलवे की प्रतिष्ठा को नुकसान पहुंचाने के उद्देश्य से तोड़-मरोड़कर जानकारी को पेश किया गया है। ये उम्मीद की जाती है कि संबंधित मीडिया की तरफ से सुधारात्मक कार्रवाई की जाएगी।”

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