• 15/10/2022

निलंबन के 90 दिन बाद भी कर्मचारी को नहीं किया गया बहाल, हाईकोर्ट ने सुनाया अहम फैसला

निलंबन के 90 दिन बाद भी कर्मचारी को नहीं किया गया बहाल, हाईकोर्ट ने सुनाया अहम फैसला

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निलंबन के 90 दिन बाद बहाली को लेकर छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट ने अहम फैसला सुनाया है. हाईकोर्ट ने इस संबंध में आज शनिवार को दायर याचिका पर सुनवाई की. इस दौरान कोर्ट ने रायपुर स्थित सिकलसेल संस्थान के महानिदेशक को पंकज उपाध्याय को बहाल करने का आदेश दिया है.

दरअसल,  बिलासपुर के बोदरी के रहने वाले पंकज उपाध्याय रायपुर के सिकल सेल संस्थान में स्टोर-कम मेंटेनेन्स ऑफिसर के पद पर पदस्थ थे. ड्यूटी के दौरान पंकज उपाध्याय के खिलाफ शिकायतें मिलने पर सिकल सेल संस्थान के महानिदेशक ने 13 जून 2022 को उन्हें सेवा से निलंबित कर. इस संबंध में 22 जुलाई 2022 को आरोप पत्र जारी किया गया, लेकिन निलंबन से 90 दिन बीत जाने के बाद भी पंकज उपाध्याय को बहाल नहीं किया गया.

पंकज उपाध्याय निलंबन से बहाल नहीं किए जाने पर छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया. जहां एडवोकेट अभिषेक पाण्डेय एवं घनश्याम शर्मा के माध्यम से हाईकोर्ट बिलासपुर के समक्ष रिट याचिका दायर की गई. एडवोकेट अभिषेक पाण्डेय ने बताया कि पंकज उपाध्याय रायपुर स्थित सिकल सेल संस्थान में स्टोर-कम-मेंन्टेनेन्स ऑफिसर के पद पर पदस्थ था. ड्यूटी के दौरान शिकायत प्राप्त होने पर संस्थान के महानिदेशक ने 13 जून 2022 को पंकज उपाध्याय को सेवा से निलंबित कर 22 जुलाई को आरोप पत्र जारी किया था. लेकिन निलंबन दिनांक से 90 दिवस बाद भी बहाल नहीं किया गया.

अधिवक्ता अभिषेक पाण्डेय एवं घनश्याम शर्मा द्वारा हाईकोर्ट के समक्ष यह तर्क प्रस्तुत किया गया कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा अजय कुमार चौधरी विरूद्ध यूनियन ऑफ इंडिया एवं अन्य के वाद में पैरा-21 में यह सिद्धांत प्रतिपादित किया गया है कि यदि किसी शासकीय कर्मचारी को सेवा से निलंबित किया जाता है तो उसे निलंबन के 90 दिन बाद सेवा में बहाल किया जाना आवश्यक है.

अधिवक्ता ने तर्क दिया कि यदि किसी शासकीय कर्मचारी को 90 दिन के बाद भी यदि निलंबन में रखा जाना आवश्यक है तो उसके लिए ठोस कारण बताते हुए अनुशासनात्मक अधिकारी द्वारा विस्तृत आदेश पारित किया जाना अनिवार्य है. लेकिन याचिकाकर्ता के मामले में सुप्रीम कोर्ट द्वारा अजय कुमार चौधरी के वाद में प्रतिपादित न्यायदृष्टांत का घोर उल्लंघन किया गया.

वहीं हाईकोर्ट ने उक्त रिट याचिका की सुनवाई के बाद रिट याचिका को स्वीकार कर सिकल सेल संस्थान, रायपुर महानिदेशक को यह निर्देशित किया गया कि वे सुप्रीम कोर्ट द्वारा अजय कुमार चौधरी के वाद में प्रतिपादित न्यायदृष्टांत के आधार पर याचिकाकर्ता को निलंबन से बहाल करें.